** मंत्र का अर्थ है, एक शुद्ध ध्वनि **
मंत्रोच्चार में कोई कमी ना रखें |
कदापि |
*मुख से मंत्र ध्वनि सही ना निकाल सकें तो मंत्र को मन में पढ़ें या सुनें* |
यह उदाहरण सर्वश्रेष्ठ है.
रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धारण कर हनुमानजी सेवाकार्य करने लगे।
हनुमानजी की नि:स्वार्थ सेवा से प्रसन्न होकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने आदरपूर्वक कहा कि प्रभु, यदि आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका *एक अक्षर* बदलने का मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं।
हवन में लगे हुए ब्राह्मण हनुमानजी की मंशा को समझ नहीं सके और उन्होंने उनको तथास्तु कह दिया।
मंत्रोच्चार में हनुमानजी ने कहा कि आप जयादेवी भूर्तिहरिणी में ' *ह* ' के स्थान पर ' *क* ' का उच्चारण करे। यह मेरी इच्छा है।
इसका अर्थ है *भूर्तिहरिणी* यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ' *_करिणी_* ' का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण को पराजित कर उसका विनाश कर दिया।
हनुमानजी ने श्लोक में ' *ह* ' की जगह ' *क* ' करवाकर रावण के यज्ञ को सर्वकल्याण की जगह सर्वनाश में बदल दिया।
*मुख से मंत्र ध्वनि सही ना निकाल सकें तो मंत्र को मन में पढ़ें या सुनें* |